Shakon ka Itihas | शकों का इतिहास
Shakon ka Itihas | शकों का इतिहास
यूनानियों के बाद भारत में शक आये
शकों का निवास कैस्पियन सागर के आस-पास मध्य एशिया (CASPIAN SEA के आस-पास) माना जाता है
बैक्ट्रिया से पार्थिया तथा पार्थिया से 5 अलग –अलग 5 स्थानों पर जाकर बस गए
कुछ लोगों के अनुसार शक भारत में चारागाह की तलाश करते आये थे
1. अफगानिस्तान
2. पंजाब (राजधानी – तक्षशिला)
3. मथुरा (उ. प्र.)
4. नासिक (महाराष्ट्र)
5. उज्जैन (म. प्र.)
शक के शासक अपने आप को क्षत्रप कहते थे
भारत के उत्तरी भाग तक्षशिला तथा मथुरा के क्षत्रप उत्तरी क्षत्रप कहे गए
भारत के पश्चिमी भाग नासिक तथा उज्जैन के क्षत्रप पश्चिमी क्षत्रप कहे गए
शकों की पश्चिमी शाखा अधिक समय तक रही
तक्षशिला के शक
तक्षशिला में पहला शासक – मोअस/माउज
माउस के बाद एजेज – एजेलिसेज – एजेज II
एजेज II के बाद तक्षशिला पर पार्थियन शासक गोंडोफर्नीज आया
मथुरा के शक
मथुरा के शक उज्जैन (मालवा क्षेत्र) से आये थे
उज्जैन से आये थे इन्हें उज्जैन के राजा विक्रम (पिता – गन्धर्व सेन) ने पराजित किया था
राजा विक्रम ने 58-57 ईसा. पूर्व. शकों को पराजित किया
शकों को पराजित करके राजा विक्रम ने “विक्रमादित्य” की उपाधि धारण की
इन्हें विक्रमादित्य भी कहा जाता है
शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में एक नया संवत प्रारंभ किया गया जिसे “विक्रम संवत” या “मालव संवत” कहा गया 57 ई. पू.
विक्रम संवत में 12 माह होते हैं – चैत्र, बैसाख, जेष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन
नासिक के शक
नासिक के दो प्रमुख शासक भूमक तथा नहपान
नासिक के राजा अपने आप को क्षहरात कहते थे
नहपान ने महाराष्ट्र के कई भागों पर अधिकार किया जो सातवाहन वंश के अंतर्गत था
नहपान की राजधानी मिन्नगर (उज्जैन तथा भड़ौच के बीच) थे
सातवाहन वंश के गौतमीपुत्र शातकर्णी ने नहपान को पराजित किया
मालवा या उज्जैन के शक
विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद शक मथुरा से वापस उज्जैन आ गए
उज्जैन के शक–कार्दमक वंश – चष्टन (स्वतंत्र) – रुद्रदामन
रुद्रदामन (130-150 ई.) सबसे प्रमुख शासक था
रुद्रदामन ने सुदर्शन झील के बाँध की मरम्मत करवाई थी (सुदर्शन झील निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य)
सुदर्शन झील की जानकारी रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख (संस्कृत भाषा) से मिलती है
रुद्रदामन संगीत, राजनीति, व्याकरण आदि का ज्ञाता था
रुद्रदामन ने सातवाहन शासक विशिष्टीपुत्र पुलवामी को पराजित किया था
उज्जैन के अंतिम शक शासक ने रूद्र सिंह III था
रूद्र सिंह III को गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त II विक्रमादित्य ने पराजित किया तथा व्याघ्र शैली में चांदी के सिक्के चलवाए
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