Chandragupt 2 History | चन्द्रगुप्त द्वितीय का इतिहास
Chandragupt 2 History
चन्द्रगुप्त 2 के विवाह सम्बन्ध
चन्द्रगुप्त II ने युद्ध के साथ-साथ विवाह सम्बन्ध से भी अपने साम्राज्य का विस्तार किया
नाग वंश – चन्द्रगुप्त II ने नाग वंश की राजकन्या कुबेर नागा से विवाह किया (इससे पुत्री प्रभावती का जन्म हुआ)
कदम्ब वंश – मैसूर के उत्तरी भाग में कुंतल राज्य पर कदम्बों का शासक था जहां चन्द्रगुप्त II ने पुत्र कुमारगुप्त का विवाह किया
वाकाटक वंश – चन्द्रगुप्त II ने पुत्री प्रभावती का विवाह वाकाटक रुद्रसेन II से कराया
वाकाटक वंश रुद्रसेन II के साथ मिलकर चन्द्रगुप्त II ने शकों को पराजित किया गुजरात तथा मालवा के शकों को पराजित किया
अंतिम शक शासक रूद्र सिंह III (409) को पराजित कर उज्जैन पर अधिकार किया तथा उज्जयिनी को राजधानी बनाया
शकों पर विजय के बाद चन्द्रगुप्त II ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की (इसे शकारि भी कहा जाता है)
शकों पर विजय प्राप्त करके व्याघ्र शैली के चांदी के सिक्के चलाये
चन्द्रगुप्त II के समय चीनी यात्री फाह्यान (399- 414 ई.) भारत आया था
फाह्यान ने भारत में मध्य देश (म. प्र.) में चन्द्रगुप्त II के समय जनता सुखी, समृद्ध तथा संपन्न थी
चन्द्रगुप्त II के काल को गुप्त वंश का स्वर्ण काल भी कहा जाता है
चन्द्रगुप्त 2 के दरबार के नौरत्न
कालिदास – साहित्यकार(अभिज्ञानशाकुंतलम, मेघदूत)
धन्वन्तरी – चिकित्सक (आयुर्वेद)
क्षपणक – जैन विद्वान
अमरसिंह – कोषकार
वराहमिहिर – खगोलशास्त्री (वृहत्संहिता, संस्कृत भाषा में)
शंकु – ज्योतिषाचार्य
बेताल भट्ट – जादूगर तथा तंत्र साधना
घटकर्पर – कवि
वररुचि – व्याकरण साहित्यकार (संस्कृत व्याकरण)
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