Harshvardhan History in Hindi | हर्षवर्धन का इतिहास (पुष्यभूति वंश)
Harshvardhan History in Hindi
पुष्यभूति वंश के हर्षवर्धन का इतिहास
हर्षवर्धन ने उत्तर भारत के कई राज्यों पर विजय प्राप्त कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया
हर्षवर्धन के अधीन शासक महाराज या महासामंत कहे जाते थे
हर्षवर्धन और पुलकेशिन 2
हर्षवर्धन ने दक्षिण भारत में अपना राज्य विस्तार करना प्रारम्भ किया लेकिन चालुक्य वंश के शासक पुलकेशिन II (चालुक्य वंश) से नर्मदा नदी के तट पर पराजित होकर दक्षिण भारत पर विस्तार नहीं किया
हर्षवर्धन का साम्राज्य
हर्षवर्धन का साम्राज्य कई प्रान्तों में विभाजित था
प्रान्तों को भूक्ति कहते थे
प्रान्तों के शासक – राष्ट्रीय, उपरिक
भूक्ति के भाग – विषय(जिला)प्रधान – विषयपति
विषय के अधीन – पाठक
व्हेन सांग चीन यात्री तथा विद्वान था जो हर्षवर्धन के शासन काल में भारत आया था
हर्षवर्धन के कन्नौज के धार्मिक आयोजन में व्हेन सांग भी सम्मिलित हुआ था
ह्वेन सांग 7 वीं शताब्दी (629 से 645 ई.) में भारत आया था (विवरण सी – यू – की)
हर्षवर्धन कौन से धर्म का अनुयायी था
हर्षवर्धन के पूर्वज शिव धर्म के अनुयायी थे लेकिन हर्षवर्धन पहले शैव धर्म तथा बाद में बौद्ध धर्म का अनुयायी (महायान शाखा) था
लेकिन वह अन्य धर्मों को भी समानता देता था
हर्षवर्धन की रचनाएं
हर्षवर्धन अच्छा कवि भी था जिसने प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानंदम संस्कृत नाटक की रचना की
हर्षवर्धन के समय नालंदा महाविहार महायान बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था
हर्षवर्धन के दरबार के प्रमुख व्यक्ति
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