समुद्रगुप्त का इतिहास | Samudragupta History in Hindi
Samudragupta History in Hindi
समुद्रगुप्त किसका पुत्र था?
चन्द्रगुप्त प्रथम तथा कुमार देवी का पुत्र समुद्र गुप्त गुप्त वंश का अगला शासक बना
लिच्छवी दौहित्र किसे कहा गया
समुद्रगुप्त लिच्छवी वंश का नाती था इसलिए कई सिक्कों पर “लिच्छवी दौहित्र” नाम मिलता है
समुद्रगुप्त कविराज
समुद्रगुप्त एक शासक होने के साथ- साथ कवि तथा संगीतज्ञ भी था
इसे कविराज भी कहा जाता था
समुद्रगुप्त के कई सिक्कों में उसे वीणा वादन करते हुए दिखाया गया है
समुद्रगुप्त ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी
समुद्र गुप्त प्रयाग प्रशस्ति
प्रयाग प्रशस्ति के लेखक
समुद्रगुप्त के सम्बन्ध में तथा उसके साम्राज्य विजय की जानकारी उसके राजकवि “हरिषेण” के द्वारा रचित “प्रयाग प्रशस्ति” (उ. प्र.) स्तम्भ लेख से प्राप्त होती है (गद्य तथा पद्य)
प्रयाग प्रशस्ति अशोक के कौशाम्बी से लाये अभिलेख पर खुदवाया गया था
प्रयाग प्रशस्ति कहाँ स्थित हैं
प्रयाग प्रशस्ति इलाहाबाद के किले में स्थित है
समुद्रगुप्त की साम्राज्य विस्तार नीतियाँ
समुद्रगुप्त ने आर्यावर्त (उत्तरी भारत) के क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की जिसे लिए समुद्रगुप्त ने “प्रसभोद्धरण” की नीति अपनाई
समुद्रगुप्त का सबसे प्रमुख अभियान दक्षिणापथ (दक्षिणी भारत) था जिसमे समुद्रगुप्त ने “ग्रहणमोक्षानुग्रह नीति” अपनाई
समुद्रगुप्त ने विदेशी राजाओं को भी अपने अधीन कर लिया
भारत का नेपोलियन
विन्सेंट स्मिथ (ब्रिटिश इतिहासकार) ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा है (कभी पराजित नहीं हुआ)
गुप्त वंश के किस शासक समरशत कहा गया
समुद्रगुप्त को समरशत (100 युद्धों का विजेता) भी कहा जाता है
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