Samrat Ashok History in Hindi | सम्राट अशोक का इतिहास हिन्दी में

Samrat Ashok History in HindiSamrat Ashok History in Hindi

Samrat Ashok History in Hindi

सम्राट अशोक के पिता का नाम क्या है?

सम्राट अशोक के पिता का नाम बिन्दुसार है
अशोक राजा बनने से पूर्व अवंती का राज्यपाल (प्रांतपाल) था
पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन भी कहा गया है
अशोक के दरबार में मिस्त्र के राजा फिलाडेल्फस का राजदूत “डियानीसियस (Dionysus)” आया था
अशोक ने मगध साम्राज्य का बहुत अधिक विस्तार किया
सम्राट अशोक का अंतिम युद्ध कलिंग (वर्तमान प्रमुख उड़ीसा) का युद्ध था
कलिंग का युद्ध 262-261 ईसा. पू. लड़ा गया था (राज्यअभिषेक के 8 वें वर्ष में)
कलिंग युद्ध के बाद जनसंहार को देखकर अशोक का ह्रदय परिवर्तन हुआ (अशोक के 13 अभिलेख के अनुसार)
अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी बना (अशोक ने बौद्ध भिक्षु उपगुप्त से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली)
अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र – महेंद्र तथा पुत्री – संघमित्रा को श्रीलंका भेजा
सम्राट अशोक की माता – शुभद्रांगी देवी (रानी धर्मा)
सम्राट अशोक के समय तीसरी बौद्ध संगीती (255 ईसा. पू., पाटलीपुत्र ) हुई थी
अशोक ने पदाधिकारियों का एक नया वर्ग “धर्म महामात्र” बनाया जिसका कार्य धार्मिक एकता बढ़ाना था
सम्राट अशोक की मृत्यु 232 ईसा. पू. (पाटलीपुत्र) हुई
भारत में शिलालेख का प्रचलन वृहद् (बड़े) रूप में सबसे पहले अशोक के समय से हुआ

अशोक के अभिलेख की लिपि

खरोष्ठी (पाकिस्तान उ. प.)
अरमाइक तथा ग्रीक (अफगानिस्तान)
ब्राह्मी (भारत)
अशोक के अभिलेख 3 भागों में विभाजित हैं
शिलालेख
स्तंभलेख
गुहालेख
अशोक के सारनाथ (उ. प्र.) स्थित अशोक स्तम्भ से देश का राष्ट्रीय चिन्ह लिया गया है
इस स्तम्भ के मध्यभाग के अशोक चक्र को राष्ट्रीय ध्वज के बीच में रखा गया है
अशोक के शिलालेखों की खोज “पाद्रेटी फेंथैलर” ने 1750 में की
अशोक के अभिलेखों को सबसे पहले “जेम्स प्रिसेप” ने 1837 में पढ़ा
अशोक के शिलालेखों की संख्या 14 तथा स्तम्भ लेखों की संख्या 7 है

अशोक के 14 शिलालेख

पहला – इसमें पशुबली की निंदा की गयी है
दूसरा – मनुष्य तथा पशु की चिकित्सा व्यवस्था
तीसरा – राजकीय अधिकारियों को आदेश की वह प्रत्येक 5 वें वर्ष में राज्य का दौरा करें
चौथा – भेरिघोष के स्थान पर धम्मघोष की घोषणा
पांचवा – धर्म महामात्रों की नियुक्ति
छठवां – आत्म नियंत्रण की शिक्षा
सातवाँ – तीर्थ यात्रा का वर्णन
आठवां – तीर्थ यात्रा का वर्णन
नौवां – सच्ची भेंट तथा सच्ची शिक्षा का वर्णन
दसवां – राजा का आदेश जिसमें राजा तथा उच्च अधिकारियों को प्रजा के हित में सोचने को कहा गया
ग्यारहवां – धम्म की व्याख्या
बारहवां – स्त्री महामात्रों की नियुक्ति तथा सभी प्रकार के विचारों का सम्मान
तेरहवां – कलिंग युद्ध तथा अशोक के ह्रदय परिवर्तन का वर्णन के साथ पड़ोसी राजाओं का वर्णन
चौदहवां- जनता को धार्मिक जीवन बिताने का वर्णन

प्रयाग स्तम्भ लेख – यह कौशाम्भी (उ. प्र.) में स्थित था जिसे अकबर ने इलाहाबाद के किले स्थापित करवाया
दिल्ली टोपरा – इसे फिरोजशाह तुगलक ने टोपरा (हरियाणा) से दिल्ली लाया
दिल्ली मेरठ – इसे फिरोजशाह ने मेरठ (उ. प्र.) से दिल्ली लाया
रामपुरवा – यह चम्पारण (बिहार) में स्थित है
लौरिया अरेराज – यह चंपारण (बिहार) में है
लौरिया नंदगढ़ – यह चंपारण (बिहार) में है इस पर मोर का चित्र बनाया गया है
इसके अतिरिक्त अशोक के कुछ लघु शिलालेख भी हैं
जैसे – रूपनाथ (कटनी), गुज़री(म. प्र.), भाबरू (राजस्थान), रायचूड़ (कर्नाटक), सहसराम (बिहार)

अशोक का सबसे लंबा अभिलेख 7 वां अभिलेख (एरागुड़ी, कुर्नुल जिलास, आं. प्र.)
अशोक का सबसे छोटा अभिलेखरुम्मीनदेई (नेपाल)
कौशाम्बी (उ. प्र.) को रानी का अभिलेख कहा जाता है
अशोक के “मास्की (रायचूड़, कर्नाटक) तथा गुर्जरा (आं. प्र.)” अभिलेख में अशोक को अशोक कहा गया है
अशोक के अन्य अभिलेखों में अशोक का नाम “प्रियदर्शी ” मिलता है
अशोक के अभिलेखों की लिपि के अनुसार यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उसके शासनकाल में राजकीय भाषा “ब्राह्मी” थी
बिना बारिश के अच्छी फसल देने वाली भूमि को “अवेदमातृक ” कहा जाता था
मौर्य काल में तक्षशिला शिक्षा का प्रमुख केंद्र था
मेगास्थनीज ने भारतीय समाज को 7 वर्गों में विभाजित किया है- दार्शनिक, किसान, अहीर (ग्वाला), कारीगर, सैनिक, निरीक्षक तथा सभासद

मौर्य वंश का समय

मौर्य शासन (322 से 185 ईसा. पू. )137 वर्ष तक रहा
भागवत पुराण के अनुसार मौर्य वंश में राजा – 10
वायुपुराण के अनुसार मौर्य वंश में राजा – 9
मौर्य वंश का अंतिम शासक “बृहदथ” था

मौर्य शासकों की सूची (शासन का समय लगभग प्राप्त जानकारी के अनुसार)

चन्द्र गुप्त मौर्य – 322 – 298 ईसा. पू.
बिन्दुसार – 298 – 269 ईसा. पू.
सम्राट अशोक – 269 -232 ईसा. पू.
दशरथ मौर्य – 232 – 224 ईसा. पू.
सम्प्रति – 224 – 215 ईसा. पू.
शालिसुक – 215 – 202 ईसा. पू.
देववर्मन – 202 -195 ईसा. पू.
शतधन्वन – 195 – 187 ईसा. पू.
बृहदथ मौर्य – 187 – 185 ईसा. पू.

मौर्य वंश के बाद

मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहदथ के बाद उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने शुंग वंश की स्थापना की
पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा. पू. मगध पर शुंग वंश की स्थापना की

अशोक के समय की शासन व्यवस्था

राजा की सहायता के लिए – मंत्रीपरिषद
अर्थशास्त्र के उच्च अधिकारी – महामात्र (संख्या 18)
अशोक के समय प्रान्तों की संख्या – 5 प्रांत (जिन्हें चक्र कहा जता था)
प्रान्त का प्रशासन करने वाले – आर्यपुत्र/कुमार/राष्ट्रिक
प्रान्तों के भाग – विषय (प्रमुख विषयपति)
प्रशासन की सबसे छोटी ईकाई – ग्राम (प्रमुख ग्रामीक)
10 ग्रामों का प्रशासक – गोप
युद्ध में सेना का प्रमुख – नायक
सेना का सबसे बड़ा अधिकारी – सेनापति
गुप्तचर विभाग का अधिकारी – महामात्य सर्प
घूमने वाले गुप्तचर – संचार
जनता के न्यायालय में न्यायाधीष – राजुक
सरकारी भूमि – सीताभूमि


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