Chandragupta Maurya History in Hindi
Chandragupta Maurya History in Hindi
चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास
मौर्य वंश का संस्थापक
मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था
चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के धनानंद को पराजित करके मगध पर मौर्य वंश की स्थापना की
धनानंद को पराजित करने में चन्द्रगुप्त मौर्य की सहायता किसने की?
घनानंद को पराजित करने में चन्द्रगुप्त की सहायता विष्णुगुप्त/कौटिल्य/चाणक्य ने की
चाणक्य को चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री तथा गुरु बनाया गया
अर्थशाश्त्र पुस्तक किसने लिखी?
चाणक्य ने राजनीति से सम्बंधित “अर्थशास्त्र” पुस्तक लिखी जो मौर्यकालीन है
चाणक्य ने राजनीति से सम्बंधित “अर्थशास्त्र” पुस्तक में राजनीति के साथ राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आदि की जानकारी दे गयी है
अर्थशास्त्र पुस्तक की मूलभाषा – संस्कृत
चंद्र्गुप्त मौर्य ने जैन धर्म की दीक्षा किससे ली?
चन्द्रगुप्त जैन धर्म का अनुयायी था जिसकी दीक्षा उनसे गुरु भद्रबाहु से ली थी
चन्द्रगुप्त को ग्रीक तथा लैटिन भाषा के लेखों में सैंड्रोकोट्स तथा एंडोकोट्स के नाम से जाना जाता है
सेल्यूकस निकेटर कौन था?
सेल्यूकस निकेटर ने चंद्र्गुप्त से युद्ध किया अंत में सेल्यूकस निकेटर ने संधि की
सेल्यूकस ने अपनी पुत्री कार्नेलिया(हेलेना) का विवाह चन्द्र गुप्त से करा दिया
सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त को 4 प्रान्त काबुल, कंधार, मकरान तथा हेरात दिए
चन्द्रगुप्त तथा सेल्यूकस निकेटर के युद्ध के बीच युद्ध का वर्णन “एप्पियानस” ने किया
मेगास्थनीज कौन था?
सेल्यूकस निकेटर का राजदूत “मेगास्थनीज” था जो चन्द्रगुप्त के दरबार में आया था मेगास्थनीज ने “इंडिका” नामक पुस्तक लिखी
इंडिका में मौर्यकाल की जानकारी दी गयी थी
मेगास्थनीज ने दो प्रकार के मुख्य अधिकारियों का वर्णन किया है – मंत्री तथा सचिव
अर्थशास्त्र में विभिन्न कार्यों के लिए 18 अधिकारी विभागों का वर्णन है
चन्द्र गुप्त मौर्य के समय चर(गुप्तचर) व्यवस्था उत्तम थी
सुदर्शन झील का निर्माण किसने करवाया था?
चन्द्रगुप्त ने सिंचाई व्यवस्था के लिए सौराष्ट्र (गुजरात) में गिरिनार के पास “सुदर्शन झील” का निर्माण करवाया (इस निर्माण कार्य को प्रांतीय शासक (राज्यपाल) पुष्यगुप्त के माध्यम से करवाया गया था)
इसका समर्थन रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से होता है
सम्राट अशोक के महामात्य तुशास्प ने सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण करवाया
गुप्त वंश के स्कंदगुप्त ने सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार तथा बाँध की मरम्मत करवाया
चन्द्रगुप्त के समय की मुद्रा को “पण” कहा जाता था
माना जाता है की मगध में 12 वर्षों का अकाल पड़ने की कारण चन्द्रगुप्त ने प्रजा के दुःख से दुखी होकर श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में (298 ईसा. पू.) में उपवास के समय प्राण त्याग दिए
चन्द्र्गुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी कौन था?
चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद मगध का उत्तराधिकारी चन्द्रगुप्त का पुत्र बिन्दुसार बना
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